क्या हम आज़ाद है?
' ऐ मेरे वत न के लो गों , जरा आँखों में भर लो पानी ...' इन शब्दों ने मेरी नींद तब उड़ा दी जब मैने इ से नगर निगम कि घोषणा समझी | पिछ्ले दो दिनो से हम प्यासे जो थे | पर जैसे ही मेने ख़ुद को सम्भाला , मु झे याद आया कि 63 वर्ष पूर्व आ ज ही के दिन, हम ने एक गणतंत्र साम्राज्य कि रचना कि थी | वैसा साम्राज्य जहाँ सब आज़ाद होंगे , सब एक समान होंगे , सबको अपना मत रखने का हक होगा | वो अलग बात है कि पिछ्ले दिनों कुछ " बाबाओं और नेताओं " ने इसके दुश प्रभाव का उदाहरण प्रस्तुत किया है | आज देश तीन रंग से सराबोर रहेगा | लोग अपने सीने पे , गाड़ियों के डैश बोर्ड पर , तिरं गा लगाएँगे | मैं ने भी आज के दिन सफेद कुर्ता पहन कर , तिरंगे झंडे को सीने से लगा कर घूमना अपना फर्ज़ समझा | अपने हिस्से कि देश भक्ति दिखने कि खातिर और ख़ुद को आज़ाद ' समझते ' हुए , मै भी सीना चौड़ा करके निकल पड़ा देश भ्रमण के लि...